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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
Each individual fight that Tripura Sundari fought is often a testament to her might and also the protecting mother nature of the divine feminine. Her legends continue on to inspire devotion and are integral to the cultural and spiritual tapestry of Hinduism.
The essence of these rituals lies inside the purity of intention and the depth of devotion. It's not necessarily simply the external steps but The inner surrender and prayer that invoke the divine presence of Tripura Sundari.
Following eleven rosaries on the very first working day of beginning Together with the Mantra, it is possible to provide down the chanting to one rosary per day and chant eleven rosaries on the 11th day, on the last day within your chanting.
ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं website साधय स्वाहा॥
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।
Goddess Shodashi is generally known as Lalita and Rajarajeshwari which suggests "the just one who performs" and "queen of queens" respectively.
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥